लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1
बंद दरवाजे
दिलों की तरह होते हैं दरवाजे । कुछ खुले तो कुछ बंद । जैसे साफ दिल और घाघ दिल । वैसे ही खुले दरवाजे और बंद दरवाजे । जो लोग स्पष्टवादी , निर्मल हृदय और सरल होते हैं वे खुले दरवाजे की तरह होते हैं । सबको सब कुछ दिखाई दे जाता है । पारदर्शी व्यवहार होता है ऐसे लोगों का । मगर जिनके दिलों में कुछ और तथा होंठों पर कुछ और होता है वे बंद दरवाजे की तरह होते हैं । उनके मन की थाह पाना बहुत मुश्किल है । ऐसे लोग बड़े शातिर, चालाक, धूर्त और मक्कार होते हैं । उनके दिल में क्या है इसका कोई भी चिन्ह उनके मुख या अन्य अंगों से प्रकट नहीं होता है । बंद दरवाजों के पीछे क्या कुछ होता है , किसे पता ? हालांकि लोग बंद दरवाजों के पीछे से आने वाली फुसफुसाहटों की टोह लेने की कोशिश जरूर करते हैं । बंद दरवाजों के पीछे कौन सी खिचड़ी पक रही है, इसको सूंघने की कोशिश भी करते हैं । मगर ये उनकी कलाकारी, ध्राण शक्ति और बंद दरवाजों की दरारों में से झांकने की प्रतिभा पर निर्भर करता है कि वे इसमें कितने सफल होते हैं और कितने नहीं ।
लोग भी बड़े कमाल के होते हैं । दूसरे के घरों में ताक झांक करने की आदत बहुत ज्यादा है यहां पर । अपने घर पर उतना ध्यान नहीं रखते हैं जितना पड़ोसी के घर पर रखते हैं । बंद दरवाजों के पीछे से आने वाली आवाजों को कान लगाकर सुनते हैं । बंद दरवाजों में से आने वाली गंध को सूंघ कर अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि आखिर पक क्या रहा है ? बंद दरवाजों की "झिरी" में से ताका झांकी करते हैं । और तो और कुछ "जानजुगारे" और "सयाने" लोग तो ऐसे होते हैं कि दरवाजे की स्थिति से ही घटनाओं को भांप लेते हैं । कुछ कुछ वैसे ही जैसे कुछ लोग बंद लिफाफों से भी खत का मजमून पढ़ लेते हैं ।
बड़े लोगों के दरवाजे अक्सर बंद ही रहते हैं । छोटे लोगों को दरवाजे बंद रखने की जरूरत ही नहीं होती है । छोटे लोगों को छिनने का भय नहीं सताता है । उनके पास छुपाने के लिए होता ही क्या है ? लेकिन बड़े लोगों को सब कुछ छुपाकर रखना पड़ता है । धन दौलत , मान मर्यादा , बहू बेटियां सब कुछ । चोर उचक्कों का क्या भरोसा ? कब घुस जाएं और लूट कर ले जाएं ? इसलिए धन दौलत और इज्जत को सात तालों में बंद रखना पड़ता है । लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी होते हैं जो आंखों से सुरमा उड़ाकर ले जाते हैं और कानोंकान खबर भी नहीं होती है ।
नारी को घूंघट में क्यों रहना पड़ा ? इसीलिए कि कहीं किसी दुष्ट व्यक्ति की नजर ना पड़ जाए और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता खतरे में ना पड़ जाए । इसीलिए नारी को चारदीवारी में कैद हो जाना पड़ा । घूंघट में छुप जाना पड़ा । लेकिन सौंदर्य और खुशबू छिपाए कब छिपता है ? सौंदर्य का प्रकाश सूरज की भांति फैलता है और खुशबू हवाओं पर सवार होकर सब जगह फैल जाती है । दरवाजे चाहे कितने ही मजबूत क्यों न हों, चाहे हरदम बंद क्यों न रहें ? मगर हुस्न की चांदनी को बाहर छिटकने से रोकने में नाकामयाब ही रहते हैं ये बंद दरवाजे । सौंदर्य की खुशबू तो बंद दरवाजों के छिद्रों से भी निकल कर बाहर फैल ही जाती है ।
हमारे पड़ोस में एक सज्जन गूढमल जी रहते हैं । सब काम नाप जोख कर करते हैं । बात भी उतनी ही करते हैं जितनी जरूरत हो । हंसते भी उतना ही हैं जितना कि सामने वाले को अहसास हो जाए कि वे हंस रहे हैं । उनकी पत्नी भी ऐसी ही है । सब लोग उनको घाघ ताई कहते हैं । उनका मुंह हमेशा घूंघट में रहता है मगर आंखें बड़े बड़े गुल खिलाती हैं । घूंघट में से झांकती आंखें बहुत कुछ कह जाती हैं जो घूंघट छिपाना चाहता है । उनके बंद दरवाजों से टोह लेते हैं लोग । उनके बंद दरवाजों की कीलों पर न जाने कितने लोगों के दिल टंगे हुए पड़े हैं । यह बात ताई भी जानती है और दिलों को सूली पर लटके देखकर खुश भी होती रहती है ।
जहां पर भी थोड़ा सा रहस्य नजर आता है वहीं पर लोगों के कान खड़े हो जाते हैं । तरह तरह की कहानियां प्रचलित हो जाती हैं बंद दरवाजों की । उन घरों में अंदर तक जाने वाले लोग यथा नाई, धोबी, इलेक्ट्रिशियन , प्लंबर, दाई, बाई सबकी बड़ी इज्जत होती है बाजार में । लोग उनके माध्यम से बंद दरवाजों के पीछे पकने वाली खिचड़ी को सूंघने की कोशिश करते हैं । ऐसे लोगों पर और ज्यादा नजर रखी जाती है । सुना है कि गूढमल जी के संबंध कामदेव के अवतार "तिवारी" जी की तरह कइयों के साथ हैं तो घाघ ताई भी कुछ कम नहीं हैं । और वैसे भी आजकल तो महिलाएं पुरुषों से हर मामलों में आगे ही हैं । अगर पुरुष एक गुल खिलाते हैं तो महिलाएं दस खिलाने की क्षमता रखती हैं ।
कोई जमाने में शादी और दूसरे शुभ अवसरों पर "गारी" गाने का रिवाज था । बारातियों को भांति-भांति की "गारी" गाई जाती थी । मसलन
या मूंछ वारो पूछै ओ मेरी अम्मा
कै बापन को जायो , रंग बरसेगो
तो उसकी अम्मा यानी मां क्या जवाब देती है ?
" दो अगल खड़े दो बगल खड़े
दो चाकी पर दंडोत करें
दो चूल्हा ऊपर डांस करें
दो और करूंगी मेरे बेटा , रंग बरसेगो " ।
इसलिए बंद दरवाजों में यह सब हो सकता है । होता है या नहीं, पता नहीं । मगर होने की संभावनाएं अनंत हैं । अतः अपने अपने दरवाजों का खयाल अवश्य रखियेगा ।
दशला माथुर
20-Sep-2022 11:27 AM
Very nice
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shweta soni
20-Sep-2022 12:00 AM
Very nice 👍
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Rahman
14-Jul-2022 10:29 PM
Osm
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